अतिरिक्त >> इन्सान कभी नहीं हारा इन्सान कभी नहीं हारासावित्री देवी वर्मा
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गाँव की पाँच समस्याओं पर आधारित कहानियाँ
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
दो शब्द
महात्मा गांधी का कहना था कि भारत के यदि सच्चे अर्थ में दर्शन करने हो तो
आप गाँवों में जायें। देश की प्रगति का मापदंड ही गाँव हैं। योजना सफल हो
रही है कि नहीं इसके लिए हमें गाँवों की आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक
स्थिति को परखना होगा। केवल कुछ बांध बन जाने मात्र से गाँवों का जीवन
स्तर ऊँचा नहीं उठ सकता। इसके लिए तो हमें उनमें सही ढंग से, आनन्द से
जीवन जीने की प्रेरणा भरनी होगी। उन्हें सामाजिक कुरीतियों, अन्धविश्वासों
से मुक्त करना होगा। उनको पारिवारिक जिम्मेदारियाँ निभानी सिखानी होंगी।
अच्छा भोजन और साफ-सफाई से रहने का महत्त्व बताना होगा। माने यह कि उन्हें
जीने का सलीका सिखाना होगा। यह सब कुछ सिखाने के लिए उन्हें अच्छी और रोचक
पुस्तकें पढ़ने को दी जाएँ, जो कि उनकी समस्याओं को सुलझा सकें- उन्हें
सही रास्ता दिखा सकें, ताकि जो भूले-भटके हैं वे ठोकर खाकर अपने और दूसरे
के अनुभव से कुछ सीख लें।
इसी उद्देश्य से मैंने यह पुस्तक लिखी है। इसके कुछ लेख ‘योजना’ पत्रिका में भी छप चुके हैं और पाठकों ने उनका अच्छा स्वागत किया है। इसमें गाँव की जिन पाँच समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है वे हैं-
(1) अवकाश और गृहोद्योग
(2) अन्धविश्वास और कुरीतियाँ
(3) पढ़-लिखकर गाँव के नवयुवक क्या करें ?
(4) शराब पीने से पारिवारिक सुख का नाश
(5) दहेज की कुप्रथा
सरल भाषा में, सुबोध शैली में कहानी के रूप में इन बुराइयों के परिणामों की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया गया है। यदि इस पुस्तक को पढ़कर पाठकों की अपनी समस्याओं को हल करने की कुछ भी प्रेरणा मिली तो मैं अपने प्रयास को सफल समझूँगी।
इसी उद्देश्य से मैंने यह पुस्तक लिखी है। इसके कुछ लेख ‘योजना’ पत्रिका में भी छप चुके हैं और पाठकों ने उनका अच्छा स्वागत किया है। इसमें गाँव की जिन पाँच समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है वे हैं-
(1) अवकाश और गृहोद्योग
(2) अन्धविश्वास और कुरीतियाँ
(3) पढ़-लिखकर गाँव के नवयुवक क्या करें ?
(4) शराब पीने से पारिवारिक सुख का नाश
(5) दहेज की कुप्रथा
सरल भाषा में, सुबोध शैली में कहानी के रूप में इन बुराइयों के परिणामों की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया गया है। यदि इस पुस्तक को पढ़कर पाठकों की अपनी समस्याओं को हल करने की कुछ भी प्रेरणा मिली तो मैं अपने प्रयास को सफल समझूँगी।
सावित्रीदेवी वर्मा
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